एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट इंफेक्शंस एक साइलेंट किलर जो 2050 तक ले सकता है 4 करोड़ जानें
कोरोना वायरस वैश्विक महामारी ने हमें एक सख्त सबक सिखाया है कि स्वास्थ्य संकट कितनी तेजी से उभर सकते हैं। लेकिन, अभी भी एक और गंभीर समस्या हमारे सामने है—एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट इंफेक्शंस। ये संक्रमण उस समय उत्पन्न होते हैं जब बैक्टीरिया दवाओं के खिलाफ प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं, जिससे सामान्य बीमारियाँ भी जानलेवा हो सकती हैं।
क्या है एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस?
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का मतलब है कि जब बैक्टीरिया इस प्रकार विकसित होते हैं कि वे दवाओं का असर सहन करने लगते हैं। द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि 1900 से 2021 के बीच, इस प्रकार के संक्रमणों के कारण 10 लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यदि इसी तरह की प्रवृत्ति जारी रहती है, तो अनुमान है कि 2025 तक लगभग 4 करोड़ लोग इस साइलेंट किलर का शिकार बन सकते हैं।
क्यों बढ़ रहा है एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस?
यह समस्या मुख्य रूप से एंटीबायोटिक्स के अत्यधिक और अनुचित उपयोग के कारण बढ़ रही है। जब लोग छोटी-मोटी समस्याओं के लिए बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक्स का सेवन करते हैं, तो इससे बैक्टीरिया के प्रतिरोधी बनने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। सामान्य रोग जैसे निमोनिया और डायरिया, जो पहले आसानी से ठीक हो जाते थे, अब जानलेवा बन सकते हैं।
बचने के उपाय:
डॉ. मोहसिन नघावी, जो इस रिसर्च को लीड कर रहे हैं, ने कहा है कि यह समस्या दशकों से बनी हुई है और आने वाले समय में और गंभीर होने वाली है। वैज्ञानिकों का सुझाव है कि यदि उच्च प्रभाव वाले बैक्टीरिया के खिलाफ नई और अधिक प्रभावी एंटीबायोटिक्स विकसित की जाती हैं, तो लगभग 1.1 करोड़ लोगों की जान बचाई जा सकती है।
सामान्य उपाय:
- सही उपयोग: हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही एंटीबायोटिक्स का सेवन करें।
- वैक्सीनेशन: नियमित रूप से वैक्सीनेशन कराएं ताकि गंभीर बीमारियों से बचा जा सके।
- बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ: स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत बनाना और संक्रामक बीमारियों के उपचार के लिए नई रणनीतियों का विकास करना आवश्यक है।
- शिक्षा और जागरूकता: लोगों को एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के खतरों के बारे में जागरूक करना भी जरूरी है।
निष्कर्ष
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट इंफेक्शंस एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा हैं, जो आने वाले वर्षों में एक बड़ी महामारी का रूप ले सकते हैं। इसलिए, सभी को इस मुद्दे के प्रति जागरूक रहना चाहिए और सतर्क रहना चाहिए। सही कदम उठाकर और नीतियों को अपनाकर हम इस साइलेंट किलर के खतरे को कम कर सकते हैं।
आइए, हम सभी मिलकर इस स्वास्थ्य संकट का सामना करें और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करें।