2050 तक फंगल इंफेक्शन से खतरा: एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के चलते बढ़ेगा साइलेंट महामारी का प्रकोप

2050 तक फंगल इंफेक्शन से खतरा: एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के चलते बढ़ेगा साइलेंट महामारी का प्रकोप

कोविड-19 महामारी के बाद वायरस और बैक्टीरिया से जुड़ी बीमारियों का कहर जारी है, लेकिन अब एक और गंभीर खतरा सामने आ रहा है—फंगल इंफेक्शन। हालिया शोध और रिपोर्ट्स के अनुसार, आने वाले समय में यह फंगल इंफेक्शन साइलेंट महामारी के रूप में उभर सकता है, जिससे लाखों लोगों की जान को खतरा है।

फंगल इंफेक्शन: क्यों बन रही है यह साइलेंट महामारी?

फंगल इंफेक्शन कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन अब इसका खतरा बढ़ता जा रहा है। इसकी मुख्य वजह है एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस। यह रेजिस्टेंस फंगल इंफेक्शन के इलाज में बड़ी बाधा बन रहा है, क्योंकि दवाइयां इन पर असर नहीं कर पा रही हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, अगर इसी तरह फंगल इंफेक्शन का प्रभाव बढ़ता रहा तो 2050 तक 4 करोड़ लोगों की जान जा सकती है। इसे “साइलेंट महामारी” कहा जा रहा है, क्योंकि इसका असर धीरे-धीरे बढ़ेगा, लेकिन यह बेहद घातक साबित होगा।

2050 तक 4 करोड़ लोगों की जान को खतरा: स्टडी की मुख्य बातें

हाल ही में द लैंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट ने यह चेतावनी दी है कि अगर फंगल इंफेक्शन को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो 2050 तक 40 मिलियन यानी 4 करोड़ लोगों की जान जा सकती है। यह संक्रमण दुनियाभर में एक बड़ी स्वास्थ्य चिंता बनकर उभर रहा है, और इसका प्रमुख कारण एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित एक हाई-लेवल मीटिंग में भी इस पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

फंगल इंफेक्शन का बढ़ता प्रभाव: हर साल 3.8 मिलियन मौतें

फिलहाल, फंगल इंफेक्शन से हर साल 6.5 मिलियन लोग प्रभावित होते हैं, जिनमें से 3.8 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है। इनमें सबसे खतरनाक फेफड़ों में होने वाला फंगल इंफेक्शन है, जो बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि फंगल इंफेक्शन का इलाज बैक्टीरिया की तुलना में ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि इसका असर मानव कोशिकाओं पर भी पड़ता है। यही वजह है कि नई और प्रभावी एंटीफंगल दवाएं विकसित करना मुश्किल हो रहा है।

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एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस और फंगल इंफेक्शन की चुनौती

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के चलते बैक्टीरिया और फंगस पर असर करने वाली दवाओं की प्रभावशीलता कम हो गई है। वर्तमान में फंगल इंफेक्शन पर उपलब्ध दवाइयों का असर कम हो रहा है, जिससे इलाज करना और भी मुश्किल हो गया है। इसके चलते वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय को अब फंगल इंफेक्शन और एंटीफंगल रेजिस्टेंस पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

फंगल इंफेक्शन से बचाव: क्या कर सकते हैं आप?

  1. इम्यूनिटी को मजबूत बनाएं: इम्यून सिस्टम मजबूत होने से फंगल इंफेक्शन से बचाव हो सकता है।
  2. साफ-सफाई का ध्यान रखें: अपने आस-पास की सफाई बनाए रखें और फंगल संक्रमण से बचने के लिए हाईजीन का पालन करें।
  3. स्वास्थ्य जांच कराएं: समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की जांच कराते रहें, खासकर यदि आपकी इम्यूनिटी कमजोर है।
  4. संक्रमित लोगों से दूरी बनाएं: यदि किसी को फंगल इंफेक्शन है, तो उनसे दूरी बनाए रखें और संक्रमण से बचने के उपाय अपनाएं।

निष्कर्ष

फंगल इंफेक्शन को नजरअंदाज करना अब संभव नहीं है। यह धीरे-धीरे वैश्विक स्वास्थ्य संकट का रूप लेता जा रहा है और आने वाले समय में यह एक साइलेंट महामारी के रूप में उभर सकता है। एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के चलते फंगल इंफेक्शन के इलाज में कठिनाइयां बढ़ रही हैं, जिससे लाखों लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है। इसलिए, अब वक्त आ गया है कि हम फंगल इंफेक्शन को गंभीरता से लें और इसके प्रति जागरूकता फैलाएं।

2050 तक इस साइलेंट महामारी से बचने के लिए हमें अपनी स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार करने और एंटीफंगल दवाओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

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