हाल ही में केरल में “ब्रेन-ईटिंग अमीबा” (Brain-Eating Amoeba) के दो नए मामलों ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। यह एक दुर्लभ लेकिन घातक सूक्ष्मजीव है, जो प्राइमरी एमीबिक मीनिंजोएन्सेफालाइटिस (PAM) नामक जानलेवा संक्रमण का कारण बनता है। यह संक्रमण मस्तिष्क में तेजी से फैलकर मृत्यु का कारण बन सकता है। इस लेख में, हम इस खतरनाक अमीबा के बारे में जानेंगे और इससे बचाव के उपायों पर चर्चा करेंगे।
क्या है ब्रेन-ईटिंग अमीबा?
ब्रेन-ईटिंग अमीबा, जिसे Naegleria fowleri के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रकार का सूक्ष्मजीव है जो गर्म ताजे पानी में पाया जाता है। यह अक्सर गर्म झीलों, नदियों, और गर्म झरनों में पनपता है। जब कोई व्यक्ति इस संक्रमित पानी को अपनी नाक के माध्यम से अंदर लेता है, तो यह अमीबा नाक के जरिए मस्तिष्क तक पहुंचकर वहां के ऊतकों को नष्ट करने लगता है, जिससे जानलेवा संक्रमण हो सकता है।
ब्रेन-ईटिंग अमीबा कैसे फैलता है?
यह अमीबा विशेष रूप से ताजे और गर्म पानी में पनपता है। संक्रमित पानी के नाक में जाने पर, यह मस्तिष्क में प्रवेश करता है और वहां संक्रमण फैलाता है। यह आमतौर पर उन जगहों पर अधिक पनपता है जहां जलाशयों में पानी रुकता है, जैसे मानसून के बाद केरल जैसे स्थानों में। तैरने या गोताखोरी के दौरान यह संक्रमण होने का खतरा ज्यादा होता है।
लक्षण: संक्रमण के शुरुआती और बाद के चरण
ब्रेन-ईटिंग अमीबा का संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है और इसके शुरुआती लक्षण सामान्य बीमारियों जैसे बुखार, सिरदर्द, उल्टी और गर्दन की अकड़न जैसे होते हैं। यह लक्षण संक्रमण के एक से नौ दिनों के अंदर दिखाई देते हैं। संक्रमण बढ़ने पर भ्रम, दौरे, अत्यधिक चिड़चिड़ापन, और अंततः कोमा की स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे मृत्यु की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा के मामले
केरल का गर्म और मानसूनी वातावरण इस अमीबा के पनपने के लिए आदर्श होता है। केरल के ताजे जलाशयों और नदियों में गर्म पानी की वजह से इस प्रकार का संक्रमण अधिक देखा जा रहा है। इन स्थानों पर तैरने या गोताखोरी करने से व्यक्ति को यह संक्रमण हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, मानसून के बाद जलाशयों में पानी रुकने की वजह से संक्रमण फैलने का खतरा और भी ज्यादा हो जाता है।
इसे ‘ब्रेन-ईटिंग’ नाम कैसे मिला?
केरल के मदीत्रिना अस्पताल की कंसल्टेंट फिजीशियन डॉ. द्रिश्या पिल्लई के अनुसार, इस अमीबा का मस्तिष्क के ऊतकों को तेजी से नष्ट करने की क्षमता के कारण इसे ‘ब्रेन-ईटिंग अमीबा’ कहा जाता है। यह संक्रमण बहुत तीव्र होता है और सही समय पर इलाज न मिलने पर यह घातक साबित हो सकता है।
बचाव के तरीके और जागरूकता
ब्रेन-ईटिंग अमीबा से बचने के लिए सावधानियां बरतना जरूरी है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि ताजे और गर्म पानी में तैरने और गोताखोरी से बचना चाहिए, खासकर बारिश के बाद। यदि आपको तैराकी करनी ही है, तो नाक में पानी जाने से बचने के लिए सुरक्षित और फ़िल्टर्ड पानी का उपयोग करें।
इस संक्रमण के लक्षण जल्दी पहचानना मुश्किल होता है क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण अन्य सामान्य बीमारियों से मिलते-जुलते होते हैं। इसलिए, समय रहते संक्रमण का पता लगाना और सही इलाज प्राप्त करना बेहद जरूरी है।
निष्कर्ष: जागरूक रहें, सुरक्षित रहें
ब्रेन-ईटिंग अमीबा के मामले दुनिया भर में दुर्लभ होते हैं, लेकिन यह बेहद खतरनाक होते हैं। इसके संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप ताजे और गर्म पानी में तैरने या नाक के जरिए पानी के संपर्क में आने से बचें। यदि संक्रमण के लक्षण महसूस हों, तो तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। सही जानकारी और सावधानी से इस खतरनाक संक्रमण को रोका जा सकता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।