भारतीय महिलाओं में बढ़ता हृदय रोग का खतरा, कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

भारतीय महिलाओं में बढ़ता हृदय रोग का खतरा, कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

हृदय रोग (Heart Disease) को अक्सर पुरुषों की समस्या माना जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में भारतीय महिलाओं, विशेष रूप से युवा और रजोनिवृत्त (Menopausal) महिलाओं में इसका खतरा तेजी से बढ़ रहा है। महिलाओं में हृदय रोग अब एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन गई है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

विश्व हृदय दिवस: हृदय रोग के प्रति जागरूकता का महत्व

हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस (World Heart Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को हृदय रोगों के खतरों के प्रति जागरूक करना है। इस साल की थीम “Use Heart for Action” है, जो हृदय स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने पर जोर देती है।

महिलाओं में हृदय रोग का बढ़ता खतरा: कारण और जोखिम

भारत में हृदय रोग (Heart Disease) महिलाओं की मृत्यु का एक प्रमुख कारण बन चुका है। ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी’ के अनुसार, महिलाओं में लगभग 17% मौतें हृदय रोग से होती हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं में हृदय रोग के जोखिम कारक जैसे उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, डिसलिपिडेमिया और मोटापा इसकी प्रमुख वजहें हैं। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं का हॉर्मोनल बैलेंस बदल जाता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

रजोनिवृत्ति और हृदय रोग: क्यों है यह बढ़ता खतरा?

एम्स, नई दिल्ली के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एस रामकृष्णन बताते हैं कि रजोनिवृत्ति से पहले महिलाओं को कुछ हद तक प्राकृतिक हॉर्मोनल सुरक्षा मिलती है। लेकिन अब युवा और रजोनिवृत्त महिलाओं में भी हृदय रोग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

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इस बढ़ते खतरे का कारण मुख्य रूप से हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप), डायबिटीज, और डिसलिपिडेमिया जैसी स्थितियों का होना है। ये सभी कारक हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं और दिल की सेहत को प्रभावित करते हैं।

PCOS और हृदय रोग का सीधा संबंध

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) भी हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है। डॉ. आरती अधे रोजेकर के अनुसार, “PCOS से पीड़ित महिलाओं में मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध और एंड्रोजन्स की अधिकता होने से मेटाबॉलिक सिंड्रोम के खतरे बढ़ जाते हैं, जो हृदय रोग का कारण बन सकते हैं।”

PCOS वाली महिलाएं अक्सर मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित होती हैं, जो डायबिटीज, पेट का मोटापा, और इंसुलिन प्रतिरोध जैसे स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है, और यह हृदय रोग का खतरा बढ़ाता है।

हृदय रोग से बचाव के उपाय: स्वस्थ जीवनशैली और नियमित जांच

हृदय रोग से बचने के लिए नियमित हृदय स्वास्थ्य जांच बेहद आवश्यक है। प्रारंभिक चरण में हृदय रोगों का पता लगाना और समय पर उपचार लेने से बड़े जोखिमों से बचा जा सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार और शारीरिक रूप से सक्रिय रहना हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद करता है।

वायु प्रदूषण और हृदय रोग का बढ़ता खतरा

दिल्ली जैसे शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण का हृदय रोगों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। डॉ. रामकृष्णन के अनुसार, “वायु प्रदूषण अब हृदय रोगों के लिए एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है, जो धूम्रपान जितना ही खतरनाक हो सकता है।”

अध्ययन और आंकड़े: हृदय रोग का बढ़ता खतरा

यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, महिलाओं में हृदय रोग का जोखिम 51% तक बढ़ सकता है। जर्नल ऑफ अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के अनुसार, भारतीय महिलाओं में कोरोनरी आर्टरी डिजीज की दर पिछले 20 वर्षों में 300% से अधिक बढ़ गई है।

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निष्कर्ष: महिलाओं में हृदय रोग के प्रति जागरूकता जरूरी

हृदय रोग अब केवल पुरुषों की समस्या नहीं है। भारतीय महिलाओं में भी यह तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए समय रहते हृदय स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है। नियमित स्वास्थ्य जांच, शारीरिक सक्रियता, स्वस्थ आहार और प्रदूषण से बचाव हृदय रोग के जोखिम को कम करने के प्रमुख उपाय हैं।