मीनाक्षी गुप्ता दृष्टिहीनता को मात देकर ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने वाली मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर

मीनाक्षी गुप्ता दृष्टिहीनता को मात देकर ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने वाली मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर

ब्रेस्ट कैंसर, जो आजकल पूरी दुनिया में सबसे अधिक आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, का समय पर निदान बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि, कई बार डायग्नोसिस में देरी और गलत पहचान के कारण कैंसर के मामलों में वृद्धि होती है। ऐसे में, कुछ अद्वितीय और प्रेरणादायक लोग हैं जो इस चुनौती को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इनमें से एक हैं मीनाक्षी गुप्ता, जो दिल्ली एनसीआर में एक मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर के रूप में काम कर रही हैं।

मीनाक्षी का अनोखा सफर

मीनाक्षी गुप्ता, जो देखने में असमर्थ हैं, ने अपने अद्वितीय स्पर्श संवेदनाओं का उपयोग करके ब्रेस्ट कैंसर की पहचान में योगदान देने का निर्णय लिया। मेदांता अस्पताल में काम करते हुए, वह एक प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं जिसमें दृष्टिहीन महिलाएं अपनी स्पर्श की संवेदना का इस्तेमाल करके ब्रेस्ट में असमानताओं का पता लगाती हैं।

क्या होते हैं मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर्स?

मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर्स वे लोग होते हैं, जो दृष्टिहीन या अंधे होते हैं, लेकिन उन्हें स्पर्श के प्रति एक अद्वितीय संवेदनशीलता होती है। इन्हें ब्रेस्ट एग्जाम करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है। ये पेशेवर ब्रेस्ट टिश्यू में ऐसे छोटे बदलावों का पता लगाने में मदद करते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर का प्रारंभिक संकेत हो सकते हैं। ये डॉक्टर्स के साथ मिलकर काम करते हैं और ब्रेस्ट स्क्रीनिंग की सटीकता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

मीनाक्षी का प्रभाव

2018 से इस क्षेत्र में सक्रिय, मीनाक्षी ने अब तक लगभग 1100 मरीजों की जांच की है। उनकी जांच प्रक्रिया में आमतौर पर 25 से 30 मिनट लगते हैं। मीनाक्षी बताती हैं कि इनमें से 250 से 400 मामलों में उन्हें विशेष ध्यान देने की आवश्यकता महसूस हुई है। इस प्रकार, मीनाक्षी ने न केवल दृष्टिहीन लोगों के लिए एक नई दिशा दिखाई है, बल्कि वह ब्रेस्ट कैंसर के निदान के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गई हैं।

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शोध का महत्व

2023 में एक अध्ययन के अनुसार, दृष्टिहीन लोगों द्वारा की गई टैक्टिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन प्रक्रिया ब्रेस्ट स्क्रीनिंग के लिए अत्यंत प्रभावी साबित हो रही है। यह अध्ययन दिखाता है कि ये तकनीकें न केवल ब्रेस्ट कैंसर के सामान्य और घातक मामलों का पता लगाने में सहायक हैं, बल्कि यह दृष्टिहीन महिलाओं के लिए एक पेशेवर अवसर भी प्रदान करती हैं।

निष्कर्ष

मीनाक्षी गुप्ता का सफर यह दर्शाता है कि बाधाएं केवल आपके दृष्टिकोण को सीमित कर सकती हैं, लेकिन वे आपकी क्षमता को नहीं। उन्होंने अपनी दृष्टिहीनता को एक कमजोरी के बजाय एक शक्ति के रूप में परिवर्तित किया है, जिससे न केवल अपने जीवन को नया दिशा दिया है, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी एक उम्मीद की किरण बनी हैं। उनका कार्य न केवल ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में समय पर निदान को सुनिश्चित करता है, बल्कि समाज में दृष्टिहीनता के प्रति धारणाओं को भी चुनौती देता है।

उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हम अपनी चुनौतियों को स्वीकार करें और उन्हें अपने लिए एक प्रेरणा बनाएं, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। मीनाक्षी गुप्ता की तरह ही, हम सभी में अपने भीतर एक शक्ति है, जो हमें प्रेरित कर सकती है और दूसरों के जीवन में बदलाव ला सकती है।