आजकल युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। तनाव, मोटापा, नींद की कमी, अनहेल्दी फूड, शराब और तम्बाकू का अधिक सेवन जैसी आदतें इसके प्रमुख कारण हैं। ब्रेन स्ट्रोक को दिल के दौरे की तरह माना जाता है, क्योंकि यह तब होता है जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से नहीं हो पाता। न्यूरोलॉजी विशेषज्ञों का कहना है कि खराब जीवनशैली मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिससे स्ट्रोक जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। आइए जानते हैं ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण, उपचार और बचाव के तरीके।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
ब्रेन स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों की पहचान करके समय रहते इसका उपचार संभव है। यहां कुछ मुख्य लक्षण बताए गए हैं:
- बोलने में कठिनाई और भ्रम की स्थिति
स्ट्रोक का असर मस्तिष्क के उन हिस्सों पर पड़ता है जो भाषा और समझने की क्षमता से जुड़े होते हैं। ऐसे में बोलने में दिक्कत या हल्लुसिनेशन जैसी स्थिति हो सकती है। - आंखों में धुंधलापन या कालापन
स्ट्रोक से दृष्टि प्रभावित हो सकती है, जिससे एक या दोनों आंखों में धुंधलापन या कालापन आ सकता है। - बैलेंस बिगड़ना और चलने में कठिनाई
मस्तिष्क में ब्लड फ्लो की कमी से बैलेंस बिगड़ सकता है, जिससे चलने में कठिनाई महसूस होती है। - सिरदर्द, उल्टी और बेहोशी
अचानक और तेज सिरदर्द, उल्टी और बेहोशी स्ट्रोक के लक्षण हो सकते हैं, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। - हाथ, पैर या चेहरे का सुन्न होना
अचानक शरीर के किसी हिस्से, जैसे कि हाथ, पैर या चेहरे का सुन्न होना स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक के कारण
ब्रेन स्ट्रोक के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:
- अनहेल्दी फूड और खराब लाइफस्टाइल
तैलीय और अनहेल्दी फूड का सेवन, नियमित एक्सरसाइज की कमी और अनियमित दिनचर्या मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकती है। - शराब और तम्बाकू का अधिक सेवन
अधिक मात्रा में शराब और तम्बाकू के सेवन से रक्त वाहिकाओं पर बुरा असर पड़ता है, जिससे ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। - तनाव और नींद की कमी
तनावपूर्ण जीवनशैली और पर्याप्त नींद की कमी मस्तिष्क की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है, जिससे स्ट्रोक का जोखिम बढ़ सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक का इलाज
ब्रेन स्ट्रोक का उपचार समय पर शुरू करना बहुत जरूरी है। शुरुआती दौर में इसे दवाओं की मदद से ठीक किया जा सकता है।
- थ्रोम्बोलाइटिक दवाएं
शुरुआती दौर में डॉक्टर थ्रोम्बोलाइटिक दवाओं का उपयोग करते हैं, जिससे मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलता है और ब्लड फ्लो सुधारने में मदद मिलती है। - ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना
स्ट्रोक के मरीज को अपने ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना चाहिए। - सर्जरी और दवाएं
ब्लीडिंग को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं, और जरूरत पड़ने पर ब्रेन क्लॉटिंग को हटाने के लिए सर्जरी का सहारा लिया जाता है।
ब्रेन स्ट्रोक का निदान
ब्रेन स्ट्रोक का निदान करने के लिए डॉक्टर कई तरह के टेस्ट करते हैं:
- MRI और CT स्कैन
मस्तिष्क की स्थिति का सही आकलन करने के लिए MRI और CT स्कैन किए जाते हैं। - ECG और EEG
दिल की धड़कन और मस्तिष्क की गतिविधियों की जांच के लिए ECG और EEG टेस्ट किए जाते हैं। - ब्लड टेस्ट
ब्लड टेस्ट के जरिए भी स्वास्थ्य की अन्य समस्याओं का पता लगाया जा सकता है, जो स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं।
ब्रेन स्ट्रोक से कैसे बचें?
ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के लिए जरूरी है कि हम अपनी जीवनशैली में कुछ सुधार लाएं:
- धूम्रपान और शराब से बचें
तम्बाकू और शराब का सेवन छोड़ने से ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है। - कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखें
हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज से कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखना जरूरी है। - वजन को नियंत्रित करें
नियमित रूप से एक्सरसाइज करके और बैलेंस डाइट लेकर अपने वजन को नियंत्रित रखें।