भारत और पाकिस्तान के बीच के रिश्तों में अक्सर खटास और तनाव की चर्चा होती है, लेकिन हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने इन दोनों देशों के बीच इंसानियत की एक मिसाल पेश की है। मुंबई के मशहूर सर्जन डॉ. कुरेश मस्कती ने एक पाकिस्तानी नागरिक की आंखों की सफल सर्जरी करके उसकी खोई हुई रोशनी वापस लौटा दी। यह ऑपरेशन भारत में नहीं, बल्कि श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में हुआ, जहाँ डॉ. मस्कती ने पाकिस्तानी मरीज की आंखों का ऑपरेशन किया। यह कहानी इंसानियत और चिकित्सा के क्षेत्र में सीमा पार सहयोग की अनूठी मिसाल बन गई है, जिसकी चर्चा अब पूरी दुनिया में हो रही है।
चार महीने की पीड़ा और आंखों की रोशनी का खोना
यह मामला पाकिस्तान के लाहौर का है, जहां 30 वर्षीय एक व्यक्ति की आंखों की रोशनी अचानक चली गई थी। परिवार के साथ रहकर जीवन जीने की उम्मीद टूट चुकी थी। हादसे का कारण था एक केमिकल की बोतल, जिसका घोल व्यक्ति के चेहरे और सिर पर फैल गया था। इस दुर्घटना में उसकी दाहिनी आंख पूरी तरह से खराब हो गई, जबकि बाईं आंख पर दो बार कॉर्नियल ट्रांसप्लांट करवाने के बावजूद कोई सुधार नहीं हो पाया।
भारत में मेडिकल वीजा न मिलने के कारण श्रीलंका बना इलाज का ठिकाना
पाकिस्तानी मरीज भारत में मेडिकल वीजा के लिए पिछले कई महीने से प्रयास कर रहा था, मगर वीजा न मिलने के कारण उसकी उम्मीदें धूमिल हो रही थीं। इसी बीच, मुंबई के नामी सर्जन डॉ. कुरेश मस्कती से उसका संपर्क हुआ। डॉ. मस्कती ने लगातार चार महीने तक मरीज का फॉलोअप किया और आखिरकार कोलंबो में सर्जरी करने का निर्णय लिया।
कोलंबो में 48 घंटे चला ऑपरेशन
13 सितंबर को श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में डॉ. कुरेश मस्कती और श्रीलंकन आई सर्जन डॉ. कुसुम रथनायके ने मिलकर इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया। श्रीलंकन मेडिकल काउंसिल से विशेष अनुमति लेने के बाद यह ऑपरेशन शुरू किया गया। 48 घंटे लंबे चले इस ऑपरेशन के बाद मरीज की आंखों की रोशनी वापस आ गई। 24 सितंबर को यह पाकिस्तानी मरीज पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने देश वापस लौट गया।
मरीज की खुशी और आभार की कहानी
ऑपरेशन के सफल होने के बाद मरीज ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “मैंने पिछले चार महीने से अपने परिवार की शक्ल नहीं देखी थी। जब मेरी आंखों की रोशनी वापस आई और मैंने अपनी 7 साल की बेटी और परिवार को देखा, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था।” यह अनुभव न केवल मरीज के लिए एक नई जिंदगी जैसा था, बल्कि यह भी साबित करता है कि मेडिकल क्षेत्र में किसी भी देश की सीमाएं मायने नहीं रखतीं।
डॉ. कुरेश मस्कती की विशेषज्ञता और मानवता का संदेश
डॉ. कुरेश मस्कती ने बताया कि जब उन्हें आर्टिफिशियल कॉर्निया का विचार आया, तो यह पाकिस्तानी मरीज की आखिरी उम्मीद थी। मरीज के स्थानीय डॉक्टर ने डॉ. मस्कती से संपर्क किया, और पाकिस्तान में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान उनकी मुलाकात हुई। इसके बाद उन्होंने श्रीलंका में ऑपरेशन करने का निर्णय लिया।
इस सफल सर्जरी ने न केवल चिकित्सा जगत में डॉ. मस्कती की प्रतिष्ठा को और ऊँचा किया, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच इंसानियत का एक अनूठा संदेश भी दिया।
निष्कर्ष
यह घटना भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमाओं को पार कर इंसानियत के मूल्यों को सबसे ऊपर रखने का उदाहरण है। मेडिकल क्षेत्र में ऐसे प्रयास न केवल मरीजों की जान बचाते हैं, बल्कि दो देशों के बीच बेहतर संबंधों की नींव भी रखते हैं।