पीठ का दर्द एक आम समस्या है, जिसे लगभग हर व्यक्ति ने कभी न कभी अनुभव किया है। यह समस्या कई कारणों से हो सकती है, जैसे भारी सामान उठाना, अधिक चलना, मोच आना या पोषण की कमी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि निरंतर पीठ दर्द कभी-कभी गंभीर समस्याओं का संकेत भी हो सकता है, जैसे स्पाइन कैंसर? इस लेख में हम स्पाइन कैंसर के कारणों, लक्षणों और इसके बचाव के उपायों के बारे में जानेंगे।
स्पाइन कैंसर क्या है?
स्पाइन कैंसर उस स्थिति को संदर्भित करता है जब रीढ़ की हड्डी और इसके आसपास की त्वचा पर ट्यूमर विकसित होता है। इसे मुख्यतः दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
- प्राथमिक स्पाइन कैंसर: यह कैंसर रीढ़ की हड्डी या उसके आसपास की संरचनाओं से उत्पन्न होता है।
- द्वितीयक स्पाइन कैंसर: यह तब होता है जब कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों, जैसे फेफड़े या स्तन से फैलता है।
इस कैंसर का सबसे आम रूप कमर से ऊपर होता है और अक्सर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत देता है।
स्पाइन कैंसर के शुरुआती लक्षण
डॉक्टर अर्जुन धवले, एक ऑर्थोपेडिक सर्जन के अनुसार, स्पाइन कैंसर के कुछ शुरुआती लक्षण निम्नलिखित हैं:
- धीरे-धीरे बढ़ता पीठ का दर्द: शुरुआत में दर्द हल्का हो सकता है, लेकिन यह धीरे-धीरे बढ़ता है।
- आराम पर राहत न मिलना: यदि आराम करने के बावजूद दर्द कम नहीं होता है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है।
- रात के समय दर्द का बढ़ना: रात में दर्द का बढ़ना, विशेष रूप से यदि यह सोने में बाधा डालता है।
- झटके वाला दर्द: पीठ के निचले हिस्से में अचानक झटके वाला दर्द महसूस होना।
- अन्य लक्षण: मांसपेशियों में दर्द, झुनझुनी, यौन रोग, और चलने में परेशानी भी आम हैं।
स्पाइन कैंसर की जांच कैसे करें?
स्पाइन कैंसर की जांच के लिए सबसे पहले एक विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। इसके बाद निम्नलिखित जांचें करवानी पड़ सकती हैं:
- खून की जांच: विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाने के लिए।
- स्पाइनल टैप्स: रीढ़ की हड्डी से तरल पदार्थ की जांच के लिए।
- MRI और MRS: इन जांचों से ट्यूमर की स्थिति और आकार का पता चलता है।
स्पाइन कैंसर से बचाव के उपाय
स्पाइन कैंसर से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं:
- वजन को नियंत्रित रखें: स्वस्थ वजन बनाए रखने से कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है।
- शराब और धूम्रपान से बचें: ये आदतें स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- नियमित व्यायाम करें: नियमित शारीरिक गतिविधियों से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।