भारत में डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और इसी के साथ बढ़ रही है एक और गंभीर बीमारी: डायबिटिक रेटिनोपैथी (DR)। आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 101 मिलियन लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, और 2025 तक यह संख्या 125 मिलियन तक पहुंच सकती है। इस लाइफस्टाइल रोग के बढ़ने से एक और चिंता सामने आई है, जिसे डायबिटिक रेटिनोपैथी कहा जाता है। यह बीमारी आंखों को प्रभावित करती है और समय पर इलाज न मिलने पर दृष्टि हानि का कारण बन सकती है। आइए जानें इस गंभीर समस्या के बारे में विस्तार से और कैसे आप इससे बच सकते हैं।
डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है?
डायबिटिक रेटिनोपैथी एक ऐसी स्थिति है जिसमें डायबिटीज की वजह से आंखों के रेटिना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब शरीर में ब्लड शुगर का स्तर लंबे समय तक बढ़ा रहता है, तो यह आंखों की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे रेटिना में खून आने लगता है। यह स्थिति काफी आम हो गई है, और यह समस्या खासकर उन लोगों में देखने को मिल रही है जो लंबे समय से डायबिटीज के रोगी हैं।
डायबिटिक रेटिनोपैथी के शुरुआती लक्षण
डायबिटिक रेटिनोपैथी के संकेतों को जल्दी पहचानना महत्वपूर्ण है ताकि इसका समय रहते इलाज किया जा सके। यहां कुछ शुरुआती लक्षण दिए गए हैं:
- धुंधली दृष्टि (Blurred Vision)
- आंखों में काले धब्बे या फ्लोटर्स का आना
- रात में देखने में कठिनाई
- गंभीर मामलों में दृष्टि हानि होने का खतरा
रिस्क फैक्टर्स: किसे है ज्यादा खतरा?
डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा उन लोगों में अधिक होता है जिनका ब्लड शुगर लेवल अनियंत्रित रहता है। इसके अन्य जोखिम कारक निम्नलिखित हैं:
- हाई शुगर लेवल
- हाई ब्लड प्रेशर
- हाई कोलेस्ट्रॉल
- डायबिटीज का बढ़ता स्तर
- प्रेगनेंसी के दौरान डायबिटीज
कैसे करें डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचाव?
- रेगुलर आई टेस्ट: डायबिटीज के मरीजों को साल में 2-3 बार अपनी आंखों की जांच करवानी चाहिए। खासकर टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों को नियमित चेकअप जरूरी है।
- लाइफस्टाइल में सुधार: हेल्दी डाइट का पालन करें, नियमित रूप से एक्सरसाइज करें, और धूम्रपान से बचें। इन आदतों से ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी।
- प्रेगनेंसी के दौरान सावधानी: गर्भवती महिलाओं को डायबिटिक रेटिनोपैथी के लिए नियमित जांच करवानी चाहिए, ताकि किसी भी संभावित खतरे से बचा जा सके।