हर महिला के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ आता है, जिसे हम मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति के नाम से जानते हैं। यह केवल शारीरिक बदलाव नहीं लाता, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेनोपॉज से पहले महिलाएं एक संक्रमणकालीन अवधि का अनुभव करती हैं, जिसे पेरिमेनोपॉज कहा जाता है?
इस लेख में हम जानेंगे मेनोपॉज और पेरिमेनोपॉज के बीच के अंतर, पेरिमेनोपॉज के लक्षण, और इसे मैनेज करने के उपाय।
मेनोपॉज और पेरिमेनोपॉज: एक परिचय
मेनोपॉज: यह वह समय है जब एक महिला के मासिक धर्म का पूरी तरह से बंद होना शुरू होता है, आमतौर पर यह 40 से 50 वर्ष की उम्र के बीच होता है। इस दौरान हार्मोन में बदलाव के कारण कई शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं।
पेरिमेनोपॉज: इसे रजोनिवृत्ति से पहले का संक्रमणकालीन काल माना जाता है। इसकी शुरुआत आमतौर पर 30 से 45 वर्ष की उम्र के बीच होती है। इस दौरान महिला के अंडाशय हार्मोन का उत्पादन कम करने लगते हैं, जिससे मेंस्ट्रुअल साइकिल में असमानता आ जाती है।
पेरिमेनोपॉज के लक्षण
पेरिमेनोपॉज के दौरान कई शारीरिक और भावनात्मक लक्षण प्रकट होते हैं, जैसे:
- मूड स्विंग्स: अचानक मानसिक स्थिति में परिवर्तन।
- नींद की समस्या: नींद न आने की शिकायत।
- योनि में सूखापन: यौन स्वास्थ्य में परिवर्तन।
- मासिक धर्म में असमानता: पीरियड्स का रुकना या इर्रेगुलर होना।
- अचानक गर्मी महसूस होना: बुखार जैसी गर्मी का अनुभव।
- मासिक धर्म का अधिक या कम होना: पीरियड्स का असामान्य प्रवाह।
पेरिमेनोपॉज का इलाज
पेरिमेनोपॉज का कोई औषधीय इलाज नहीं है, क्योंकि यह महिलाओं के जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है। यह तब समाप्त होता है जब मासिक धर्म पूरी तरह से बंद हो जाता है और मेनोपॉज की शुरुआत होती है। हालाँकि, आप अपने लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके इसके लक्षणों को प्रबंधित कर सकते हैं।
लाइफस्टाइल में बदलाव
- संतुलित आहार: अधिक से अधिक फल, सब्जियां, और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें।
- व्यायाम: नियमित रूप से योग या एक्सरसाइज करें, सुबह और शाम दोनों समय।
- चलने का प्रयास: दिनभर में 10,000 कदम चलने की कोशिश करें।
- कैफीन का सेवन कम करें: चाय और कॉफी जैसी कैफीन युक्त चीजों का सेवन कम करें।
- नशे से बचें: शराब, सिगरेट, और तंबाकू का सेवन न करें।