आजकल रिचार्जेबल बैटरी हर डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का अहम हिस्सा बन चुकी है, चाहे वह स्मार्टफोन हो, स्मार्टवॉच हो, या इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल। समय के साथ ये बैटरियां अपनी क्षमता खोने लगती हैं, जिससे परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है। लेकिन, अब स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स ने एक नायाब तरकीब ढूंढ निकाली है, जो बैटरी कैपेसिटी को रिस्टोर करने में कारगर साबित हो सकती है।
बैटरी रिस्टोरेशन की आवश्यकता क्यों?
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और वाहनों में उपयोग की जाने वाली लिथियम-आयन और सिलिकॉन आधारित बैटरियां कुछ सालों के बाद चार्ज नहीं रख पातीं, जिससे डिवाइस की लाइफ घट जाती है। हालांकि, बैटरी लाइफ बढ़ाने के कई सुझाव दिए जाते हैं, जैसे चार्जिंग को 30-70% के बीच रखना। लेकिन फिर भी, बैटरियां समय के साथ डीक्लाइन होती ही हैं।
स्टैनफोर्ड रिसर्च: बैटरी कैपेसिटी रिस्टोरेशन का नया तरीका
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एक नई तकनीक का विकास किया है, जिससे खासतौर पर सिलिकॉन बैटरियों की कैपेसिटी को 30% तक रिस्टोर किया जा सकता है। स्टडी में पाया गया कि सिलिकॉन एनोड, जो बैटरी के महत्वपूर्ण हिस्से होते हैं, समय के साथ टूट जाते हैं। इस टूट-फूट से बैटरी को चार्ज करना मुश्किल हो जाता है। रिसर्च टीम ने सिलिकॉन के इन अलग हुए तत्वों को फिर से जोड़ने का तरीका खोज निकाला है, जिससे बैटरी की खोई हुई क्षमता वापस पाई जा सकती है।
कैसे काम करता है यह नया तरीका?
सिलिकॉन आधारित बैटरियां खासकर ड्रोन, वियरेबल्स, और इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल की जाती हैं। रिसर्च के अनुसार, यह नया तरीका सिलिकॉन एलिमेंट्स को जोड़कर उनकी कार्यक्षमता को 30 प्रतिशत तक बहाल करने में सक्षम है। इसका मतलब है कि एक बार बैटरी की क्षमता घट जाने पर भी इसे कुछ हद तक वापस लाया जा सकता है, जिससे बैटरी की उम्र और परफॉर्मेंस में सुधार होगा।
भविष्य की बैटरियों पर इसका प्रभाव
इस रिसर्च के बाद, भविष्य में बैटरी टेक्नोलॉजी में कई अहम बदलाव देखने को मिल सकते हैं। सिलिकॉन बैटरियों के बेहतर रिस्टोरेशन विकल्प के साथ, अधिक टिकाऊ और लंबे समय तक चलने वाली बैटरियां बनाई जा सकती हैं। इससे इलेक्ट्रॉनिक वाहनों, ड्रोन और अन्य उपकरणों में बैटरी रिप्लेसमेंट की जरूरत कम हो सकती है।