Reverses Type 1 Diabetes, चीन की महिला ने स्टेम सेल थैरेपी से डायबिटीज को दी मात, एक नई चिकित्सा क्रांति की शुरुआत

Reverses Type 1 Diabetes, चीन की महिला ने स्टेम सेल थैरेपी से डायबिटीज को दी मात, एक नई चिकित्सा क्रांति की शुरुआत

हाल ही में, चीन के तियानजिन शहर में टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) के एक मरीज ने स्टेम सेल थैरेपी (Stem Cell Therapy) के जरिये इस जानलेवा बीमारी से मुक्ति पा ली है। यह खबर डायबिटीज के मरीजों के लिए किसी आशा की किरण से कम नहीं है। इस उपचार के बाद महिला ने खुशी जताते हुए कहा, “अब मैं चीनी खा सकती हूं,” जो इस उपचार की सफलता का प्रतीक है। स्टेम सेल तकनीक की इस नई क्रांति ने दुनिया भर में डायबिटीज के इलाज को लेकर नई संभावनाओं को जन्म दिया है।

टाइप 1 डायबिटीज और उसकी गंभीरता

टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून रोग है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम पैंक्रियास में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। इसके कारण मरीजों को जीवन भर इंसुलिन के इंजेक्शन और इम्यूनोसप्रेसेंट्स की जरूरत होती है। टाइप 1 डायबिटीज का इलाज आज तक सीमित ही रहा है। इससे पहले, इसलेट-सेल ट्रांसप्लांट एकमात्र कारगर विकल्प था, लेकिन डोनर कोशिकाओं की कमी के कारण यह व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हो पाया।

स्टेम सेल तकनीक: टाइप 1 डायबिटीज के इलाज में क्रांतिकारी कदम

चीनी शोधकर्ताओं ने इस महिला की अपनी स्टेम कोशिकाओं का उपयोग करके उन्हें इंसुलिन बनाने वाली इसलेट कोशिकाओं में परिवर्तित किया। इन कोशिकाओं को महिला की आंतरिक मांसपेशियों में इंजेक्ट किया गया, और MRI के माध्यम से उनकी मॉनिटरिंग की गई। इस नए उपचार ने यह सिद्ध किया कि स्टेम सेल्स को डायबिटीज के इलाज में प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है।

महिला अब इंसुलिन पर निर्भर नहीं

इस उपचार के दो महीने के भीतर महिला का शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन करने लगा, जिससे उसे बाहरी इंसुलिन की जरूरत नहीं पड़ी। यह उपचार न सिर्फ उसकी जीवनशैली को सामान्य बना रहा है, बल्कि उसे टाइप 1 डायबिटीज की स्थिति से भी पूरी तरह मुक्त कर दिया है। अब यह महिला बिना किसी इंसुलिन की आवश्यकता के अपनी सामान्य दिनचर्या का आनंद ले रही है।

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स्टेम सेल उपचार की प्रक्रिया

स्टेम सेल थैरेपी में मरीज से स्वस्थ स्टेम कोशिकाएं एकत्रित की जाती हैं। इन्हें रसायन चिकित्सा (केमोथेरेपी) या विकिरण से उपचारित किया जाता है ताकि रोगग्रस्त कोशिकाएं नष्ट हो सकें। इसके बाद, स्वस्थ कोशिकाओं का प्रत्यारोपण किया जाता है, जिससे शरीर की प्राकृतिक कोशिकाएं फिर से उत्पन्न होती हैं और मरीज की स्थिति में सुधार होता है।

वैश्विक विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

विशेषज्ञों ने इस इलाज को लेकर काफी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं दी हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा के ट्रांसप्लांट सर्जन जेम्स शापिरो ने इसे “अद्भुत” करार दिया और कहा कि महिला का डायबिटीज पूरी तरह से उलट गया है। जापान के क्योटो विश्वविद्यालय के डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ. दैसुकि याबे ने इस प्रक्रिया को “क्रांतिकारी” बताते हुए कहा कि अगर यह अन्य मरीजों पर भी सफल रही, तो यह चिकित्सा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।

सावधानियां और भविष्य की योजना

हालांकि यह परिणाम बेहद उत्साहजनक हैं, लेकिन शोधकर्ता अभी भी सतर्क हैं। महिला पहले से ही लीवर ट्रांसप्लांट के कारण इम्यूनोसप्रेसेंट्स पर थीं, इसलिए यह देखना बाकी है कि क्या नई इसलेट कोशिकाओं पर भी वही ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया होगी। इस शोध की अगुवाई करने वाले डॉक्टर डेंग होंगकू ने बताया कि इस साल के अंत तक इस परीक्षण का विस्तार किया जाएगा, जिसमें 20 अन्य मरीजों को भी शामिल किया जाएगा।

दो साल बाद का महत्व

महिला के इलाज के दो साल पूरे होने का अगला महत्वपूर्ण मील का पत्थर नवंबर में आएगा। अगर उस समय तक उसकी स्थिति स्थिर रहती है, तो यह टाइप 1 डायबिटीज के इलाज में एक बड़ी सफलता होगी और इस उपचार की व्यापक मान्यता और उपयोग की संभावना को बढ़ावा मिलेगा।

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निष्कर्ष

यह नई स्टेम सेल तकनीक न केवल टाइप 1 डायबिटीज के इलाज में आशा की किरण साबित हो रही है, बल्कि इसके सफल परिणाम भविष्य में अन्य बीमारियों के इलाज के लिए भी दरवाजे खोल सकते हैं।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सिर्फ जागरूकता के उद्देश्य से है। किसी भी चिकित्सा उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।