महिलाओं का फुटबॉल, बढ़ती लोकप्रियता और नवजात स्वास्थ्य के रहस्य

महिलाओं का फुटबॉल, बढ़ती लोकप्रियता और नवजात स्वास्थ्य के रहस्य

आज की दुनिया में महिलाओं के फुटबॉल खेल में बढ़ती रुचि ने खेल की दुनिया में एक नई लहर पैदा कर दी है। द गार्डियन में प्रकाशित हालिया रिपोर्ट के अनुसार, लड़कियों का फुटबॉल खेलना अब बेहद लोकप्रिय हो रहा है। नए स्पॉन्सर्स के साथ-साथ दर्शकों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इंग्लैंड के लुईस फुटबॉल क्लब की मैनेजर कैरेन डॉब्रेस के अनुसार, “हम लड़कियों को एक छोटे आदमी के तौर पर नहीं देखते। महिलाओं की जरूरत, मानसिक स्थिति और ताकत अलग होती है। जब वे मैदान में खेलती हैं तो अपने तरीके से खेलती हैं और यही इस खेल की खूबसूरती है।”

महिला फुटबॉल का इतिहास और वर्तमान

फुटबॉल एग्जीक्यूटिव और ब्रॉडकास्टर एनिओला अलुको का कहना है कि “प्रथम विश्व युद्ध से पहले महिलाओं का फुटबॉल एक लोकप्रिय खेल था, लेकिन इसके बाद लगभग 50 वर्षों तक इस पर पाबंदी लग गई।” 1970 के दशक में पाबंदी खत्म हुई, लेकिन अब पचास सालों बाद जाकर इसे वह रुतबा मिल रहा है जो पुरुषों के फुटबॉल को प्राप्त है।

भारत में भी यह खेल धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहा है। भले ही देश इस समय विश्व रैंकिंग में 68वें स्थान पर हो, लेकिन वोग इंडिया के अनुसार, लड़कों की तुलना में लड़कियां इस खेल में अधिक रुचि ले रही हैं।

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सेलेना गोमेज़ का मानसिक स्वास्थ्य प्रबंधन

हॉलीवुड की प्रसिद्ध अदाकारा और गायिका सेलेना गोमेज़ ने अपने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए एक अनोखी तकनीक साझा की है। उन्होंने वैनिटी फेयर को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि वे एक ही समय में गर्म और ठंडे पानी के स्नान का सहारा लेती हैं। वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का मानना है कि ठंडे पानी का संपर्क रक्त प्रवाह बढ़ाता है, जिससे नर्वस सिस्टम सक्रिय होता है।

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इस अध्ययन से पता चला है कि मानसिक स्वास्थ्य के मरीजों को इस प्रकार की थेरेपी से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। डॉ. हेवर्ड वार्लंकस के अनुसार, “यह थेरेपी ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है और मानसिक संकुचन को कम करता है।”

नवजात शिशुओं के मल से जुड़े शोध

वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट, यूनवर्सिटी कॉलेज लंदन और बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 1288 नवजात बच्चों के मल की जांच करके कई महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं। अध्ययन में शामिल बच्चों को शुरुआती हफ्तों में स्तनपान कराया गया था।

वैज्ञानिकों ने पाया कि नवजात के आंत में पनपने वाले बैक्टीरिया स्तनपान के दौरान मौजूद पोषक तत्वों को पचाने और कीटाणुओं से बचाने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, जिन माताओं को प्रसव के दौरान एंटीबायोटिक्स दिए गए हैं, उनके बच्चों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

इस अध्ययन का उद्देश्य बच्चों की सेहत पर माइक्रोबायोम के प्रभाव को समझना था, ताकि भविष्य में संक्रमण और बीमारियों का सही इलाज किया जा सके।

निष्कर्ष

महिलाओं के फुटबॉल में बढ़ती रुचि और नवजात स्वास्थ्य पर नवीनतम शोध दर्शाते हैं कि कैसे खेल और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बदलाव आ रहा है। चाहे फुटबॉल हो या मानसिक स्वास्थ्य के लिए विशेष उपाय, यह समय है नई संभावनाओं को अपनाने का।

यदि आप इस विषय में और जानकारी चाहते हैं या कोई अन्य प्रश्न है, तो पूछने में संकोच न करें!