हाल ही में लखनऊ में एक प्राइवेट बैंक की महिला अधिकारी की अचानक मौत ने एक बार फिर से काम के दबाव और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध पर चर्चा को जन्म दिया है। महिला काम करते समय कुर्सी से गिर गईं, और आरोप है कि उन पर अत्यधिक काम का प्रेशर था। इसी प्रकार, पुणे में एक महिला चार्टर्ड अकाउंटेंट की मौत भी वर्कलोड के कारण बताई गई। इन घटनाओं ने सवाल उठाया है: क्या वास्तव में अधिक काम करना मौत का कारण बन सकता है?
काम के दबाव का प्रभाव
डॉ. जुगल किशोर, सफदरजंग अस्पताल में कम्यूनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर, के अनुसार, काम के दबाव का सीधा संबंध मौत से नहीं है, लेकिन यह मानसिक तनाव को बढ़ा सकता है। यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक मानसिक तनाव में रहता है, तो इससे स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जैसे, उच्च रक्तचाप (बीपी) की स्थिति में आना, जो बाद में हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
क्या अधिक काम से मानसिक तनाव होता है?
गाजियाबाद के जिला अस्पताल में मनोरोग विभाग के डॉ. एके कुमार बताते हैं कि सभी लोग अधिक काम से मानसिक तनाव में नहीं आते हैं। हालांकि, जब कोई व्यक्ति अपने काम को मजबूरी समझता है और तनाव में रहता है, तो यह स्थिति गंभीर हो सकती है। नौकरी की सुरक्षा की चिंता, कार्य का बढ़ता बोझ और भविष्य की अनिश्चितता एक व्यक्ति को मानसिक तनाव की ओर ले जा सकते हैं।
काम के दबाव के कारण होने वाली मौतें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2017 में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समय तक काम करने और मानसिक तनाव के कारण हार्ट डिजीज और स्ट्रोक के चलते 7,45,000 लोगों की मौत हुई। दुनिया की लगभग 9% आबादी लंबे समय तक काम कर रही है, जो कि चिंता का विषय है।
कितना काम करना उचित है?
WHO की गाइडलाइंस के अनुसार, एक व्यक्ति को सप्ताह में औसतन 35 से 40 घंटे काम करना चाहिए। इससे अधिक काम करने से मानसिक और शारीरिक थकावट हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रति सप्ताह 50 घंटे या उससे अधिक काम करना मानसिक तनाव का कारण बन सकता है। यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से व्यायाम नहीं करता है और खराब आहार लेता है, तो मानसिक तनाव और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
संस्थान और सरकारी कदम
कर्मचारियों के काम के घंटे निर्धारित करने के लिए संस्थानों को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसके साथ ही, सरकार को भी इस दिशा में कड़े नियम बनाने की आवश्यकता है ताकि कर्मचारियों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुरक्षित रह सके।
निष्कर्ष
काम के दबाव और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध स्पष्ट है। अत्यधिक काम न केवल शारीरिक थकावट का कारण बनता है, बल्कि यह गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का भी जन्म दे सकता है। इसलिए, कर्मचारियों की भलाई के लिए संतुलित कार्य समय और स्वस्थ कार्य वातावरण सुनिश्चित करना आवश्यक है।
इस विषय पर जागरूकता फैलाने और नीतियों में सुधार के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। आपका मानसिक स्वास्थ्य आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए!