बच्चों में आई स्ट्रेन: मोबाइल की लत और उसके दुष्परिणाम

बच्चों में आई स्ट्रेन: मोबाइल की लत और उसके दुष्परिणाम

आजकल, हर घर में बच्चों की मोबाइल पर निर्भरता एक आम समस्या बन गई है। बच्चे घंटों-घंटों मोबाइल या लैपटॉप की स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं, जिससे उनकी आंखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इससे न केवल आंखों में थकान, बल्कि ड्राई आई, लाल आंखें, और धुंधला दिखाई देने जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। यह समस्या अब इतनी गंभीर हो गई है कि बच्चे बिना फोन के एक मिनट भी नहीं रह पा रहे हैं, विशेषकर ऑनलाइन क्लासेज के चलते।

आई स्ट्रेन क्या है?

आई स्ट्रेन, जिसे आंखों की थकावट भी कहा जाता है, तब होता है जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करता है। इसके लक्षण अक्सर धीरे-धीरे विकसित होते हैं और समय रहते ध्यान न देने पर और भी गंभीर हो सकते हैं, जैसे कि धुंधली दृष्टि।

आई स्ट्रेन के कारण

  1. स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग: लगातार स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करना, विशेष रूप से करीब से देखने पर, आंखों पर दबाव डालता है।
  2. कम रोशनी में देखना: अंधेरे में स्क्रीन देखना भी आंखों को अधिक थका सकता है।
  3. गलत नंबर का चश्मा: यदि आंखों का नंबर बदल गया है और चश्मा नहीं बदला गया है, तो इससे भी आई स्ट्रेन हो सकता है।
  4. स्वास्थ्य समस्याएं: कुछ स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे ड्राई आई सिंड्रोम, भी आई स्ट्रेन का कारण बन सकती हैं।

आई स्ट्रेन के लक्षण

  • आंखों का लाल होना
  • आंखों से पानी निकलना
  • जलन और खुजली
  • पलकें भारी लगना
  • धुंधला दिखाई देना
  • सिरदर्द
  • आंखों में सूखापन
  • फोकस करने में परेशानी
  • तेज रोशनी में आंखें चौंधियाना
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आई स्ट्रेन से बचाव के उपाय

बच्चों में आई स्ट्रेन को रोकने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करें:

  • 20-20-20 नियम: हर 20 मिनट में, 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें। इससे आंखों को आराम मिलेगा।
  • स्क्रीन की स्थिति: मोबाइल और लैपटॉप की लाइटिंग और स्क्रीन की स्थिति को ठीक करें, ताकि आंखों पर दबाव न पड़े।
  • चश्मे की जांच: बच्चे के चश्मे का नंबर चेक कराना न भूलें। अगर आवश्यकता हो तो सही नंबर के चश्मे का उपयोग करें।

निष्कर्ष

बच्चों में मोबाइल का अत्यधिक उपयोग आई स्ट्रेन जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए, माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों की स्क्रीन समय को नियंत्रित करें और उन्हें स्वस्थ आदतों के प्रति जागरूक करें। इससे न केवल उनकी आंखों का स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि उनकी समग्र भलाई भी बनी रहेगी।

आइए, हम सब मिलकर बच्चों की आंखों का ख्याल रखें और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं!